Rare Pic of Fauji and Satbir Gurjar
दिल्ली से सटा इलाका लोनी जो कि ग़ाज़ियाबाद में आता हैं। शाहदरा मेट्रो स्टेशन से दूरी सिर्फ 9 किमी। कहने को तो यहां विकास तेजी से होना चाहिए था, लेकिन अगर यहाँ कुछ पनपा हैं तो वह है अपराध। लूट, मर्डर, डकैती और रेप यहां की जिंदगी का एक साधारण सा हिस्सा बन के रह गई हैं। महंगी जमीनों के चलते यहाँ गैंगवॉर भी कोई नई चीज नहीं है। एनसीआर के अलावा उत्तराखंड,हरियाणा में होने वाली हर बड़ी वारदात के तार यहां तलाशे जाते हैं। दिल्ली से एंट्री करें या गाजियाबाद से, टूटी सड़कें सब कुछ बयान करती हैं। चमकदार इतिहास के बावजूद ये एक तरह का 'क्राइम सेंटर' हैं।
ऐतिहासिक स्थल : मान्यता है कि प्राचीन काल में राजा लवणासुर की सेनाओं के रुकने का स्थान होने के कारण इस एरिया को लवनी के नाम से पहचाना जाता था। बाद में इसका नाम लोनी हो गया। रेलवे मैप में गुजरात के जामनगर में लोनी जंक्शन है। इसलिए यहां के रेलवे स्टेशन का नाम लोनी रख दिया गया। मुगल काल और अंग्रेजों के जमाने में सेनाएं यहां रुकती थीं। यहां के बारे में मशहूर था कि अगर किसी शासक को भारत पर राज करना है तो उसे लोनी को अपनी गिरफ्त में लेना ही होगा।
जमीन से लेकर गैंगवार तक:देश की राजधानी दिल्ली से करीबी के कारण लोनी की जमीन हमेशा से महंगी ही रही है। 1960 में जब दिल्ली में ग्रेटर कैलाश के आसपास जमीन बिक रही थी, तब दिल्ली, कोलकाता और गुजरात के बिल्डरों ने यहां (लोनी में) किसानों से ऊंची कीमतों पर जमीन खरीदी थी।और बाद में दबंगों से ही जमीन बिकवानी शुरू कर दी थी। इसके बाद से क्राइम मैप पर लोनी का नाम दर्ज होना शुरू हुआ। 1982 में एशियन गेम्स के दौरान फिर से जमीन के रेटो ने छलांग लगाई। इस दौरान एरिया में 2 दबंग ग्रुप सक्रिय हो गए थे। बाद में दोनों तरफ के लोगों के बीच झगड़े के बाद गैंगवॉर शुरू हुआ।
महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर: जुर्म की दुनिया की बात हो और फौजी और सतबीर गुर्जर की बात ना हो,ऐसा हो ही नही सकता। पुलिस फइल के अनुसार, 1985 में वेस्टर्न यूपी के कुख्यात बदमाशों की लिस्ट में लोनी के बैसला गुर्जरो के गाँव मेवला भट्टी के महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर का नाम टॉप पर था। आरोप है कि पार्टियां इन्हें अपने नाम के लिए यूज करती थीं। बाद में दोनों का नाम रंगदारी और किडनैपिंग में भी आने लगा। उन दिनों फौजी और सतबीर का वर्चस्व इतना अधिक बढ़ गया था की पश्चिमी यूपी के लोग आज भी इनके नाम से कांप जाते हैं।
शुरुआती जीवन : महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर एक ही गाँव मेवला भट्टी से थे,दोनो शुरुआत में बहुत अच्छे दोस्त थे। महेंद्र फौजी आर्मी से रिटायर्ड था,इसलिए सब उसे फौजी कहकर बुलाते थे। फौजी 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध मे भी शामिल रहा था। सतबीर गुर्जर ने एलएलबी कर रखी थी। रिटायर्ड होने के बाद फौजी के पास करने के लिए कोई काम नही था,उन दिनों जमीन महँगी होने के कारण प्रोपर्टी लाइन में अच्छा बिज़नेस था,इसलिए सतबीर उसे प्रोपर्टी लाइन में साथ बिज़नेस करने के लिए लोनी के चेयरमैन जगमाल सिंह के पास ले जाता हैं।इस तरह फौजी जमीनी बिज़नेस में शामिल हो जाता हैं
वह घटना जिसने सब बदलकर रख दिया: फौजी की एक महेन्द्री नाम की बहन थी जो मेरठ के क़िलागढ़ पुट्ठी गाव में ब्याही थी (गाँवो में एक चलन होता हैं कि बड़े भाई के नाम पर ही छोटी बहन का नाम रख देते हैं।)
एक दिन फौजी सुबह अपने घर के आंगन में बैठा हुआ था की तभी उसकी बहन महेन्द्री रोती हुई आती हैं, फौजी उससे पूछता हैं तो वह बताती हैं कि ससुराल में दो मुस्लिम लड़को ने मेरे साथ छेड़खानी करने की कोशिश की,मैने ये बात अपने पति को बताई लेकिन उन गुंडो के डर से उन्होंने कुछ नही किया।
फौजी ये सुनकर आग बबूला हो जाता हैं और उन दोनो को जान से मारने की कसम खाता हैं।
फौजी जाकर सब बात सतबीर को बताता हैं तो सतबीर चलने के लिए तुरन्त तैयार हो जाता हैं।सतबीर और कुछ साथियों के साथ फौजी उन गुंडो के घर पहुचता हैं और उन दोनो को उनकी माँ समेत मौत के घाट उतार देता हैं।
इसी बीच फौजी और चेयरमैन के बीच पैसो के लेनदेन को लेकर विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों एक दूसरे की जान के दुश्मन बन गए।सतबीर जगमाल को अपना गुरु मानता था,इसलिए वो भी फौजी को अपना दुश्मन मानने लगा।
इस दुश्मनी में दोनों परिवारों के कई लोगो की जान गई,इसी वजह से इनकी दुश्मनी दिन प्रतिदिन और गहरी होती गयी।इसी दौरान दोनों को राजनीतिक संगरक्षण भी मिलने लगा।डीपी यादव ने फौजी के साथ करीबी रिश्ते बना लिए और सतबीर महेंद्र भाटी की शरण मे आ गया।
फौजी और सतबीर के बीच शुरू हुए गैंगवार में सैकड़ो लोगो की जान गई थी।
पुलिस की फ़ाइल के अनुसार महेंद्र फौजी गैंग ने लोनी टाउन एरिया के चेयरमैन राशिद अली,लोनी इन्टर कॉलेज के चेयरमैन जगमाल और विधायक महेंद्र भाटी की हत्या कर दी थी।बोखलाहट में सतबीर गैंग ने एक राजनीतिक पार्टी के नेता के करीबी रिश्तेदार कमलराज और भाई राम सिंह महाशय की राजनगर में हत्या कर दी थी। इन दोनों के संघर्ष का शिकार ठाकुर प्रीतम सिंह भी बने जिनकी बाद में हत्या कर दी गई थी।
एनकाउंटर: मई 1994 में बुलंदशहर पुलिस ने महेंद्र फौजी को बड़ी मुश्किल से मुठभेड़ में मार गिराया। जबकि 1997 में सतबीर दिल्ली पुलिस के हाथों मारा गया था। लेकिन जुर्म का ये सिलसिला इनकी मौत पर भी खत्म नही हुआ, ये अब भी जारी है.....
फौजी और सतबीर की जीवनी पर फ़िल्म :महेंद्र फौजी और सतबीर गुर्जर पर एक फ़िल्म भी बनाई गई हैं
जिला ग़ाज़ियाबाद लेकिन वो पूर्णतया सच नही हैं।फ़िल्म में सब कुछ अलग दिखाया गया हैं,और फौजी को एक बुरे पात्र के रूप में दिखाया गया हैं,जबकि स्थानीय लोग फौजी को बहुत ही अच्छा इंसान बताते हैं। फ़िल्म की स्टोरी असलियत से बिल्कुल अलग हैं, बस कुछ चुनिंदा पात्रो को छोड़कर.....।
By
Sanjeev Baisla Gurjar
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दोस्तो अगर आपको कुछ गलत लगा हो तो आप हमे कमेंट कर सकते हैं
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Deleteक्या लोनी के बारे में अधिक जानकारी जानने के लिए क्या मुझे आपका संपर्क नंबर मिल सकता है सर
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ReplyDeleteDear I was 15 years old when my elder brother was with Mahander Singh Fouji and Tejpal Gujjar, my elder brother whose name was DK but real name dev Kumar Tyagi, tried to trace Ranveer Ramala and Ravinder Bhura from Govindpuri to Loni in Car in between they had some exchange of Fire. Later on they had some conversation to short out the matter but due to some unavoidable circumstances my brother once chased both of them up to loni in Car, though I appreciate that both had approached my brother to settle down the mater but I don't know why it could not been settled at that time and rivalry remained in between them. Later on with Satbir gujjar Soubir Pradhan Ravinder Ramala and Rajveer Bhura they approached a girl in greater kaikash who was friend of DK & cleverly sent a message through a House Servent In M market GK-II to brother DK that she wants to meet.
ReplyDeleteThey suddenly came from behind and killed DK Bhai and his friend from GZBD. Soon after killing they all took shelter in MP's house near Chanakyapuri where from they made call to Mulchand Hospital to know whether he is alive or not.
We were 3 brothers thereafter we remained two. .. story is long but all of them were killed very soon who killed our brother. Most interesting is encounter of Soubir Pradhan who covered long distance in Sugar Cane Field but could not saved himself. Satbir Gujjar was about to make call on STD PCO near Chanakya Puri where 38 Bullets were poured in his body.
Though we were also caught but due to lack of proof we later on released.
Till now we never indulged ourselves in any such activity.
neither we approach any Gang though many times wherever we use to go Greater Kailash Govindpuri Kalka ji Cannought Place etc etc people speak I'm look a like of my elder brother DK.
Sab faik story hai
DeleteBhosdike kam jhoot bol....Gaand mai dum hai toh number send kariyo Fir dekhta hu kitna bda badmaash hai tu....itni jhooti story kaha se lekr aaya hai gaandu.
DeleteBhai shi hai ye story mai siroli se hi hu
DeleteIt's a well composed narrative which is not portrayed at all in the movie. Thanks 😊
ReplyDeleteI am the viteness of Mahendra fouji his brother got beaten by me and some of my friends later fouji took me in the night from my home and ask me why did I beat his brother I simply give him a answer if your brother don't get to learn respect to the 24 village then he should leave the village I come from sakalpura village near kotwalpur we left him in the village kotwalpur with another my friends house and ask him to sand him when he get in sober . Mahender was good person to knon but some people call him bad he was great person he know I hit his brother but he told me if you need any help I will be with you so respect to him .
ReplyDeleteThanks Mr Sudesh
DeleteWe would like to know some more about this reality, Can we please discuss over the phone or what's app
Please share your number.
Abey jaa bhosdike kam jhoot bol....Tumhari toh aaj bhi gaand fat ti hai faoji ke naam se....madan bhaiya naukar tha mahendra foji ka kisi se bhi pta kr liyo....tum kasanao ki gaand mai itna dum nhi 🤣🤣
DeleteGood
ReplyDeletebad
DeleteZila Ghaziabad me Rashid ki aukat bahut dikhai DP yadav ka role nahi bataya
ReplyDeleteTejpal gujjar vs babbu tyagi...net pe dekh le....tejpal ne babbu ka dhokhe se murder kar diya tha...uske baad tejpal kabhi shanti se baith ni paya....tyagi gang ne uspe kai hamle karaye...uske kai admi mare gaye...or last me uska encounter hua...kul mila k badmas kitna b bada ho jaye par dusre badmas se panga na hi lo to acha h...ek jata h to sab jate hain
ReplyDeleteEspe web seres ban sakti h
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